गुरुवार, 14 मार्च 2013


प्रणाम का महत्व



आज अपनी रचना से ही अपनी बात आरम्भ करती हूँ , सभी के जीवन  में प्रणाम की महत्ता है ! प्रणाम रुपी ताले में उन्नति की चाभी होती है ! आएँ पहले जाने प्रणाम किन्हें करना होता है !

” सुबह करो प्रथम प्रणाम परमेश्वर का ,
जग में जलता दिया जिसके नाम का ,
उसके बाद करो दर्शन अपने करों का
जिनमें संचित होता प्रकाश ज्ञान व् स्वास्थ्य का ,
फिर सुमिरन में प्रणाम करो धरती गगन पाताल का ,
जिनसे देखो हरदम चलता जीवन सभी का ,
फिर सदैव होता प्रणाम घर में वृद्धों का
जिनके ह्रदय में बसता संसार आशीर्वाद का
फिर न भूलना प्रणाम अपनी जननी का
संघर्ष झेलकर जिसने कर्ज निभाया धरती का
फिर प्रणाम का अधिकार होता पिता का
जिसने हमे सिखाया कर्तव्य अपने जीवन का
फिर प्रणाम का अधिकार शिक्षक का
जिसने भेद सिखाया ज्ञान व् फ़र्ज़ के अंतर का
वैसे तो प्रणाम में समाहित संसार संस्कारों का
जीवन में अपना लेना प्रणाम का पथ उन्नति का !”

भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर प्रणाम को अभिवादन सूचक माना जाता है ! अच्छे जीवन की प्राप्ति हेतु विभिन्न संस्कारों की भूमिका अतुलनीय होती है ! हमारी भारतीय संस्कृति में जन्म से मृत्यु तक संस्कारों की अमृत धारा प्रवाहित होती रहती है ! अच्छे संस्कार व्यक्ति को यशश्वी , उर्जावान व् गुणवान बनाते हैं ! संस्कार देश की परिधि निर्धारित करती है ! इसीलिए समाज के सभी सदस्यों को संस्कारों की मान गरिमा बनाये रखने हेतु सजग रहना चाहिए !

बच्चों को समझाएं कि जो अपनत्व प्रणाम में है वह हाथ मिलाने के आधुनिक व्यवहार में नहीं होता ! पाश्चात्य संस्कृति का दुरूपयोग करने के नकरात्मक प्रभाव आते है , व् स्वास्थ्य के लिए भी खतरा साबित हो सकते हैं ! हेल्लो , हाय , बाय व् हाथ मिलाने से उर्जा प्राप्त नहीं होती ! हमारी आज की युवा पीढ़ी अपनी स्वस्थ परम्परा को ठुकराकर अपने लिए उन्नति के द्वार स्वय बंद कर रहे है ! हाथ मिलाने से बचें , दोनों हाथ जोड़कर या पाँव पर झुक कर अभिवादन की आदत डालें , और हाथ मिलाना से जहाँ तक हो सके बचे क्यूंकि यह स्वास्थ्य के मार्ग में और अध्यात्मिक उत्थान के मार्ग में अवरोधक हैं !

अच्छे संस्कारों में सर्वप्रथम बच्चों को बडो का सम्मान करना सिखाईये ! बच्चों को प्रणाम का महत्व समझाईये ! बच्चों के जीवन की सम्पनता प्रणाम में ही संचित होती है ! जो बच्चे नित्य बडो को , वृद्ध जनों को , व् गुरुजनों को प्रणाम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं , उसकी आयु , विद्या , यश और बल सभी साथ साथ बढ़ते हैं ! हमारे कर्म और व्यवहार ऐसे होने चाहिए कि बड़ों के ह्रदय से हमारे लिए आशीर्वाद निकले , और हमारे व्यवहार से किसी के ह्रदय को ठेश न पहुंचे ! प्रणाम करने से हमारे समूचे भावनात्मक और वैचारिक मनोभावों पर प्रभाव पड़ता है जिससे सकरात्मक बढती है ! आयें अपने बच्चों को सही मार्ग दर्शन दें !
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