बुधवार, 6 मार्च 2013

तनाव तो जीवन उपहार 

इम्तहान का दौर आरम्भ हो चुका  है ,सैकड़ों विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं ! परीक्षा कोई भी हो ,आपके पूरे वर्ष की मेहनत का रहस्य छुपाये रहती है ! इन दिनों तनाव  बढना स्वाभाविक है क्यूंकि आपका सम्पूर्ण भविष्य  के निर्माता होते   हैं ये इम्तहान  ! बच्चे ,अभिभावक व् शिक्षकगण  इससे सभी प्रभावित होते हैं ! रात दिन एक करके पढाई करना ,अभिभावकों द्वारा भारी दबाब बच्चों पर घातक असर डालता है ! यह ज्ञात रहे बिना तनाव के कोई भी व्यक्ति जीवन में कोई भी मुकाम हासिल नहीं कर सकता ! यह वह अमृत धारा है जिसके सेवन से आपको अच्छे परिणाम प्राप्त करने की प्रबल इच्छा जागृत होती है ! तनाव मुक्त जीवन में व्यक्ति संघर्षशील  नहीं होता , अधिक प्रयास करने की उसकी इच्छा भी नहीं होती और वह नीरस जीवन व्यतीत करता है ! इसीलिए परीक्षा  से डरें  नहीं अपितु अपने कार्य को सुनियोजित तरीके से पूर्ण करने  की कोशिश करें ! 
सर्वप्रथम विद्यार्थी  ये याद रखें कि  परीक्षा पास करने में ईश्वर उनकी तभी मदद करेगा जब वे अध्यन में दिलचस्पी दिखायेंगे  ,जितना समय वो आपस में  गिले शिकवे  दूर करने में ,मन्दिर मस्जिदों के चक्कर काटने में व्यर्थ करेंगे ,उतनी  ही दूर उनकी मंजिल दिखेगी ! यदि किसी कारणवश आपने वर्ष भर अध्यन   नहीं किया  और  अब भी यदि  समय गवायेंगे  तो क्या हासिल होगा ! अपने भाग्य को कोसने या फिर कम अंक आने के भय से नकरात्मक उर्जा को अपने ऊपर होने ही नहीं देना है ! आजकल बच्चों ने बड़ा आसान  मार्ग ढूंढ लिया है ! यदि अंक अच्छे नहीं आये या परचे अच्छे नहीं गए ....तो घर से भाग जायेंगे , या फिर मौत को गले लगा लेंगे ,सारा झंझट ही खत्म हो जायेगा ! नही प्रिय बच्चों ऐसा बिलकुल भी नहीं है ,व्यक्ति का पूरा जीवन ही इम्तहान है जिसे उसे डटकर सामना करना होता है , बढाओ से डरकर आप कहीं भी जायेंगे नित्य नए इम्तहान आपके सामने आ खड़े होंगे ! इसीलिए अपने को सदा भाग्यशाली समझना कि ईश्वर ने आपको परीक्षा योग्य समझा तभी तो आप विद्यालय जा सके ,जरा उन लाखों बच्चों की ओर देखो जिन्हें दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं होती ,विद्यालय  पहुँचना  तो उनके लिए सपने सरीखा है ! और क्या उनके जीवन का संघर्ष अपने आप में स्वयं इम्तहान से क्या कम है ! हरिवंश राय  बच्चन जी कविता बारम्बार पढ़ा करो ...तनाव ही आपकी मंजिल बनने में सहायक सिद्ध होगी ...याद कर लेना इस रचना को और जीवन में अपने उतार लेना 
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती !
अभिभावकों से भी निवेदन केवल परीक्षा के दिनों में बच्चों पर परीक्षा का दबाब न बनाएं , पूरे वर्ष भर उनका संबल बने और उनकी हर विषय की समस्याओं  को समझने की चेष्ठा  करें ! अच्छा स्वास्थ्य वर्धक भोजन ,व्यायाम  ,व् जीवन संघर्ष युक्त प्रेरित करती रचनाओं द्वारा उनके उचित मार्गदर्शी बनिए ! परीक्षा नजदीक आते ही माता-पिता का तनाव बच्चों पर हावी होने लगता है। बच्चों ने चाहे पूरे साल ढंग से तैयारी की हो पर परीक्षा नजदीक आते ही माता-पिता बच्चों के पीछे पडे रहते हैं। टीवी देखना, बातें करना, खेलना-कूदना सब बंद कर देते हैं। पर यह सब गलत है। जहां तक हो सके बच्चों के साथ दोस्ताना बर्ताव करें। अपना  तनाव कम रखें ताकि बच्चे तनाव में न आए। हर वक्त बच्चे को पढते रहने की नसीहत न दें। उसे अपने हिसाब से तैयारी करने के लिए कहें। बस यह ध्यान रखें कि वह हर विषय को पूरा समय दे। तनाव युक्त जीवन को सहर्ष अपनाएं अपना व् समाज हित में सदैव अग्रसर रहिए ! सभी परीक्षार्थियों को मेरी और से शुभकामनायें !

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